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16. प्रभु के आयुध कैसे नाम जापक की रक्षा करते हैं ?

क्रोधित ऋषि श्री विश्वामित्रजी के कहने पर प्रभु श्री रामजी ने सूर्यास्त तक श्री काशीनरेश का वध करने का संकल्प लिया । श्री काशीनरेश भगवती अंजनी माता की शरण में गए जिन्होंने प्रभु श्री हनुमानजी को उनकी रक्षा का दायित्व सौपा । प्रभु श्री हनुमानजी ने श्री काशीनरेश को श्री अयोध्याजी में सरयू माता में खड़े होकर “श्रीराम” नाम का निरंतर जप करने को कहा । नाम जप के प्रभाव से प्रभु श्री रामजी का छोड़ा रामबाण श्री काशीनरेश की परिक्रमा करके आ गया और उनका वध नहीं किया । प्रभु के आयुध का कार्य है प्रभु नाम जापक की रक्षा करना ।

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