प्रभु नींद में भी श्रीगोपीजन का नाम लेते थे ।
यह बात भगवती रुक्मिणी माता ने देवर्षि प्रभु श्री नारदजी को बताई थी । प्रभु
प्रेम की इतनी ऊँची अवस्था को श्री गोपीजन प्राप्त हो
गई थी कि प्रभु भी उनका स्मरण करके उनका नाम लेते थे । जैसे साधक को प्रभु का नाम
लेने में आनंद आता है वैसे ही प्रभु को भी अपने प्रिय भक्तों का नाम लेने में परम
आनंद आता है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony