स्मरण भक्ति का सही अर्थ है कि नाम लिए बिना भी
प्रभु स्मरण हो जाए । श्री प्रह्लादजी और श्रीगोपीजन बिना नाम लिए प्रभु का निरंतर
स्मरण करते रहते थे । नाम हमें आरंभ से ही प्रभु का स्मरण करने का अभ्यास करता है
। फिर परिपक्व अवस्था में नाम के बिना भी प्रभु का लगातार स्मरण चलता रहता है
।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony