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45. हम प्रभु को कब प्रिय लगते हैं ?

हमारी जिह्वा पर प्रभु का मंगलमय नाम आते ही हम प्रभु को प्रिय लगने लग जाते हैं । जब हम निरंतर प्रभु का नाम जप करते हैं और प्रभु को पुकारते हैं तो प्रभु को बहुत अच्छा लगता है । निरंतर नाम जप से नाम जापक अपनी प्रीत की डोर में प्रभु को बांध लेता है और परम स्वतंत्र प्रभु अपने नाम जापक के आधीन हो जाते हैं ।

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