अपनी जिह्वा से हमें पूछना चाहिए कि
प्रभु नाम के उच्चारण में जो परमानंद मिलता है वह क्या त्रिलोकी में किसी अन्य
पदार्थ में मिलता है । नाम जप करने वाले साधक को परम आनंद यानी परमानंद की अनुभूति
होती है । सभी संत और भक्त एकमत हैं कि नाम जप में मिले परमानंद का बखान वे कर ही
नहीं सकते ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony