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56. कौन-सी वाणी धन्य होती है ?

वही वाणी धन्य है जो रोजाना प्रभु का नाम जप और गुणानुवाद करती है इसलिए हमें अपनी वाणी से प्रभु के नाम, रूप, गुण, श्रीलीला और धाम का गुणगान करना चाहिए । नाम जप की प्रधानता जीवन में होनी चाहिए क्योंकि वही वाणी धन्य होती है जो प्रभु के नाम का जप निरंतर करती रहती है ।

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