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58. नाम जप की इतनी महिमा क्यों है ?

प्रभु के नाम का उच्चारण जीवन में करते ही रहना चाहिए । ऐसा उच्चारण करते-करते ही प्रभु में हमारा चित्त एकाग्र हो जाता है । यह सिद्धांत है कि हम जिनके  नाम का उच्चारण करेंगे हमारा चित्त उनमें ही एकाग्र होगा, इसलिए अपनी वाणी को सदैव प्रभु के नाम के उच्चारण करने में ही लगाना चाहिए ।

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