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65. नाम में कितना रस है ?

प्रभु और माता का नाम इतना अदभुत है और उसमें इतना रस भरा हुआ है कि वह रस अन्यत्र कहीं भी नहीं मिलेगा । संत और भक्त इसलिए ही प्रभु और माता के नाम के इतने बड़े जापक होते हैं और यहाँ तक कि नाम जप को अपने जीवन का प्रधान साधन मानते हैं ।

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