तीनों लोकों के सभी जीवों में इतना
सामर्थ्य नहीं कि वे सब मिलकर भी इतना पाप कर सकें जो प्रभु के एक नाम से नष्ट
नहीं हो सके । प्रभु के श्रीनाम में इतना बड़ा सामर्थ्य है । संतों ने नाम जप के सामर्थ्य
को केवल अदभुत, अदभुत और अदभुत बताया है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony