अंत में प्रभु का ही नाम लेना पड़ेगा, प्रभु के बारे में ही श्रवण करना पड़ेगा और प्रभु प्रभु के माधुर्य
रूप में ही अपने चित्त को लगाना पड़ेगा । तभी हमारा अंत सफल होगा और हम प्रभु के
धाम जाएगे, नहीं तो हमें चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करते रहना पड़ेगा । ऐसा करे
बिना हमारा जन्म-मरण का चक्कर छूटने वाला नहीं है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony