अपने मन को पूर्ण पवित्र करके मनरूपी
श्रीगंगाजी को प्रभुरूपी महासागर में मिलाने के साधन का नाम “नाम जप” ही है । नाम
जप से मन के मैल धुलते हैं और मन पवित्र होता है, विकार मन से निकलकर भागते हैं ।
निर्मल मन से ही प्रभु मिलन संभव होता है जिसको करने में नाम जप के अलावा अन्य कोई
भी साधन कलियुग में काम नहीं आता है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony