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77. श्री सुदामाजी ने नाम जप का वरदान प्रभु से कब मांगा ?

प्रभु ने श्री सुदामाजी को जो सुदामापुरी का वैभव दिया उसे देखकर श्री सुदामाजी ने प्रभु से दो वरदान मांगे । पहला वरदान कि संपत्ति के बीच रहकर भी वे प्रभु को कभी भी नहीं भूले एवं संपत्ति प्रभु भक्ति में व्यवधान नहीं बने । दूसरा वरदान कि उनसे जन्मों-जन्मों तक निरंतर प्रभु का नाम जप और स्मरण होता रहे । श्री सुदामाजी ने कहा कि यह दोनों वरदान प्रभु देते हैं तो ही वे संपत्ति स्वीकार करेंगे अन्यथा उसे प्रभु को लौटा देंगे ।

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