राजा श्री जनकजी निर्गुण ब्रह्म को
मानते थे । उन्हें रूप और नाम में आसक्ति नहीं थी पर जैसे ही उन्होंने प्रभु श्री
रामजी को देखा और प्रभु का नाम "श्रीराम" सुना तो सुनते ही और प्रभु के
रूप को देखते ही और प्रभु का अति मीठा नाम सुनते ही वे उसमें उलझ गए । निर्गुण से पल भर में सगुण बन गए
।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony