संतों ने कहा कि जिस जीव ने प्रभु का
नाम नहीं लिया तो फिर जीवन धारण करके भी उसने क्या किया । उसका जीवन धारण करना
व्यर्थ का श्रम है । मानव जीवन का सही उपयोग करना है तो प्रभु नाम जप को जीवन में
प्रथम स्थान देना ही पड़ेगा । कलियुग में तो प्रभु नाम जप को प्रथम पायदान पर रखा
गया है । संतों ने कलियुग में भक्ति की शुरुआत ही प्रभु नाम जप से मानी है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony