नाम जप के बाद मानसिक सुमिरन यानी
प्रभु का चिंतन करना चाहिए । यही नाम जप की परिपक्व अवस्था होती है । नाम जप से
नामी प्रभु के चिंतन तक की यात्रा हमें करनी है और जैसे ही हम यह करने में सफल हो
जाते हैं हमारा पूर्ण कल्याण संभव हो जाता है । जिह्वा को नाम जप का काम दे दें और
मन को प्रभु के चिंतन का काम दे दें ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony