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132. प्रभु नाम को संतों और भक्तों ने कैसा पाया है ?

जिन संतों और भक्तों ने प्रभु के नाम रस का कीर्तन किया उन्होंने पाया कि वह मीठा-ही-मीठा है, उससे मीठा और कुछ भी नहीं है । सभी संतों और भक्तों का यह एकमत है चाहे वे कोई भी पंथ के क्यों न हो । प्रभु नाम का जप कलियुग का प्रधान साधन है इसलिए वह सबको अति मीठा लगा है और सभी ने प्रभु प्रेम में अवरुद्ध कंठ से नाम जप किया है और इसकी महिमा गाई है ।

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