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139. क्या प्रभु का नाम ही अमृत तुल्य है ?

जगत में प्रभु का नाम ही एकमात्र अमृत है । इसे छोड़कर संसार के विषयों के विष को क्यों पिया जाए ? जीवन में प्रभु का नाम नहीं लिया तो जीवन जीने का कोई अर्थ नहीं है । इसलिए अपने मंगल के लिए प्रभु के नाम जप को करते हुए अपने जीवन को काटना चाहिए ।

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