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152. क्या विपरीत परिस्थिति में भी नाम जप हो सकता है ?

भक्त श्री प्रह्लादजी और श्री विभीषणजी दैत्यों के बीच रहते हुए भी प्रभु में आसक्त थे और प्रभु का नाम सदा उनकी जिह्वा पर रहता था । दोनों ने विपरीत परिस्थिति में भी नाम जप किया और संसार को बताया कि नाम जप किसी भी परिस्थिति में संभव है । इसलिए प्रभु का नाम जप हर परिस्थिति में करना चाहिए चाहे अनुकूल या प्रतिकूल परिस्थिति ही क्यों न हो ।

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