भक्त श्री प्रह्लादजी और श्री
विभीषणजी दैत्यों के बीच रहते हुए भी प्रभु में आसक्त थे और प्रभु का नाम सदा उनकी
जिह्वा पर रहता था । दोनों ने विपरीत परिस्थिति में भी नाम जप किया और संसार को
बताया कि नाम जप किसी भी परिस्थिति में संभव है । इसलिए प्रभु का नाम जप हर
परिस्थिति में करना चाहिए चाहे अनुकूल या प्रतिकूल परिस्थिति ही क्यों न हो ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony