मन का स्वभाव है कि मन हमेशा
परिवर्तन चाहता है । इसलिए मन को कभी प्रभु के नाम का जप, कभी प्रभु के रूप का दर्शन और
कभी प्रभु की श्रीलीलाओं का चिंतन करने में बदल-बदल कर हमें लगाना चाहिए । पर कलियुग में प्रधानता
नाम जप की ही होनी चाहिए । कलियुग में ज्यादा-से-ज्यादा समय नाम जप को ही देना
चाहिए ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony