Skip to main content

200. कलियुग में प्रधानता किसकी होनी चाहिए ?

मन का स्वभाव है कि मन हमेशा परिवर्तन चाहता है । इसलिए मन को कभी प्रभु के नाम का जप, कभी प्रभु के रूप का दर्शन और कभी प्रभु की श्रीलीलाओं का चिंतन करने में बदल-बदल कर हमें लगाना चाहिए । पर कलियुग में प्रधानता नाम जप की ही होनी चाहिए । कलियुग में ज्यादा-से-ज्यादा समय नाम जप को ही देना चाहिए ।


Popular Posts