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204. क्या भक्तों ने अनेक नामों में एक ही प्रभु को पाया है ?

भक्तों ने हर देश में, हर वेश में प्रभु को पाया है और उन्होंने गाया है कि प्रभु के नाम अनेक हैं पर प्रभु एक ही हैं । श्री भक्तमालजी में अनेक सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलियुग के भक्तों की गाथा है जिन्‍होंने अनेक नाम से प्रभु को रिझाया है पर प्रभु के अनेक रूपों में प्रभु को एक ही पाया है ।

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