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206. क्या संतों के रोम-रोम ने नाप जप किया है ?

संतों के रोम-रोम ने नाम जप किया है । हमारे भी रोम-रोम में प्रभु के नाम, रूप और श्रीलीला की मिठास होनी चाहिए । भगवती जनाबाई के गोबर के उपलों से श्रीविट्ठल-श्रीविट्ठल की ध्वनि आती थी । संत श्री तुकारामजी ने अपनी पत्नी को कह रखा था कि दोपहर का भोजन देने आओ तो चौराहे की भूमि पर कान लगाकर सुनना जिधर से श्रीविट्ठल-श्रीविट्ठल की ध्वनि आती हो उधर आ जाना, मैं उधर ही मिलूंगा ।

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