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213. क्या नाम कीर्तन हमें रोमांचित कर देता है ?

भक्ति ऐसी हो कि प्रभु का नाम उच्चारण करते वक्त शरीर रोमांचित होवें, कंठ गदगद हो जाए और अश्रुधारा बह निकले । ऐसा भक्तों ने अपने जीवन चरित्र में करके दिखाया है । महाप्रभुजी ने तो रोमांचित होकर ऐसा नाम जप और कीर्तन किया कि जंगल के जानवर भी नृत्य करने लगे और भाव विभोर हो उठे । नाम कीर्तन के वक्त के सच्चे भक्त की अवस्था का बखान संभव ही नहीं है क्योंकि जो परमानंद होता है वह उन्हीं के अनुभव का विषय है । 

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