भक्ति ऐसी हो कि प्रभु का नाम
उच्चारण करते वक्त शरीर रोमांचित होवें, कंठ गदगद हो
जाए और अश्रुधारा बह निकले । ऐसा भक्तों ने अपने जीवन चरित्र में करके दिखाया है ।
महाप्रभुजी ने तो रोमांचित होकर ऐसा नाम जप और कीर्तन किया कि जंगल के जानवर भी
नृत्य करने लगे और भाव विभोर हो उठे । नाम कीर्तन के वक्त के सच्चे भक्त की अवस्था
का बखान संभव ही नहीं है क्योंकि जो परमानंद होता है वह उन्हीं के अनुभव का विषय
है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony