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222. कैसे भी लिया प्रभु का नाम क्या फलीभूत होता है ?

आलस्य से, भाव से, कुभाव से, कैसे भी प्रभु का नाम लिया जाए वह अपना काम करता है और हमेशा करेगा । यह बात ऋषि श्री वाल्मीकिजी और श्री अजामिलजी के प्रसंग से सिद्ध होती है । एक ने प्रभु का उलटा नाम लिया और दूसरे ने अपने पुत्र का नाम लिया जो की भगवान के नाम के ऊपर था और दोनों तर गए । जैसे बीज को जमीन में सुलटा डालें या उलटा डालें वह फलीभूत होगा वैसे ही प्रभु का नाम भी हमेशा फलीभूत होता आया है और आगे भी होगा ।    

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