आलस्य से, भाव से,
कुभाव से, कैसे भी प्रभु का नाम लिया जाए वह अपना काम करता
है और हमेशा करेगा । यह बात ऋषि श्री वाल्मीकिजी और श्री अजामिलजी के प्रसंग से
सिद्ध होती है । एक ने प्रभु का उलटा नाम लिया और दूसरे ने अपने पुत्र का नाम लिया
जो की भगवान के नाम के ऊपर था और दोनों तर गए । जैसे बीज को जमीन में सुलटा डालें
या उलटा डालें वह फलीभूत होगा वैसे ही प्रभु का नाम भी हमेशा फलीभूत होता आया है
और आगे भी होगा ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony