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225. कलियुग की रियायत क्या है ?

इतनी रियायत केवल कलियुग में ही है कि केवल प्रभु के नाम का आधार जीवन में लेने वाला भी तर जाता है । इसलिए संत कहते हैं कि कलियुग में केवल प्रभु का नाम जपना चाहिए । कलियुग एक बहुत ही कठिन युग है इसलिए प्रभु प्राप्ति का साधन इसमें सबसे सरल और सुगम रखा गया है जो की प्रभु का नाम जप और नाम कीर्तन है ।

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