एक भाव है कि प्रभु हमें बेहिसाब
देते हैं तो हम क्यों गिन के प्रभु का नाम लें । तात्पर्य यह है कि प्रभु का नाम
कभी भी गिन-गिन कर नहीं लेना चाहिए । नाम को गिनना एक संख्या पूरी करने के लिए तो सही
है पर संख्या पूरी होने के बाद भी नाम जप मानसिक रूप से निरंतर जीवन में चलते ही
रहना चाहिए । संतों ने अपनी श्वासों पर नाम जप किया है जिसमें गिनती की कोई गुंजाइश
ही नहीं बचती ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony