प्रभु के नाम को नहीं छोड़कर बाकी सब
कुछ जीवन में धीरे-धीरे करके छोड़ देना चाहिए । जीवन के विकार यानी काम, क्रोध,
मद, लोभ, अहंकार आदि धीरे-धीरे करके छोड़ देना चाहिए । पर यह तभी संभव होगा जब
प्रभु का नाम जप जीवन में होगा । नाम जप धीरे-धीरे करके हमारे भीतर के विकारों को
खत्म कर देता है । यह सामर्थ्य कलियुग में केवल और केवल प्रभु नाम जप में ही है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony