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249. क्या दुःख से भागना चाहिए ?

संत कहते हैं कि जो दुःख पल-पल प्रभु का नाम रटाए उसे जीवन में स्वीकार करना चाहिए । सुख हमें संसार में फंसाकर उलझाए रखता है और प्रभु से विमुख कर देता है । सुख के समय हम संसार की सुख सुविधाओं और भोगों में लिप्त रहते हैं । दुःख जीवन और संसार के असार का हमें बोध कराता है और हमें प्रभु के सन्मुख मोड़ देता है । इसलिए संतों ने कहा है कि दुःख से भागना नहीं चाहिए और उसका प्रभु सानिध्य देने के लिए धन्यवाद करना चाहिए ।

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