संत कहते हैं कि जो दुःख पल-पल प्रभु
का नाम रटाए उसे जीवन में स्वीकार करना चाहिए । सुख हमें संसार में फंसाकर उलझाए
रखता है और प्रभु से विमुख कर देता है । सुख के समय हम संसार की सुख सुविधाओं और
भोगों में लिप्त रहते हैं । दुःख जीवन और संसार के असार का हमें बोध कराता है और
हमें प्रभु के सन्मुख मोड़ देता है । इसलिए संतों ने कहा है कि दुःख से भागना नहीं
चाहिए और उसका प्रभु सानिध्य देने के लिए धन्यवाद करना चाहिए ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony