जीवन में इतनी भक्ति करनी चाहिए कि
हर श्वास में प्रभु का नाम जप होने लगे । कलियुग में जब भक्ति परिपक्व होती है तो
प्रभु नाम जप में हमारी दृढ़ आस्था हो जाती है और प्रभु का नाम हमें प्रिय लगने
लगता है । फिर नाम की माला छुट जाती है और हर श्वास में प्रभु का नाम जप होने लग
जाता है । यह एक बहुत ऊँची अवस्था है जहाँ भक्ति के कारण भक्त पहुँच जाता है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony