भक्ति अर्जित करने के लिए हमें जीवन में पुरुषार्थ करना पड़ता है जैसे सत्संग, कथा सुनना, नाम जप करना, भजन-कीर्तन करना और पूजा करना । ऐसा नहीं करने पर हमारा मानव जीवन ही व्यर्थ चला जाता है । इसमें भी कलियुग में नाम जप सबसे प्रधान साधन है जो निश्चित हमारा मंगल करता है । नाम जप में कोई नियम प्रभु ने नहीं लगाया है इसलिए कोई भी, कभी भी, किसी भी अवस्था में नाम जप कर सकता है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony