हमारे पिछले किए हुए संचित पापों के कारण हमें प्रभु का नाम नहीं सुहाता । न जाने कितने जन्मों का संचित पुण्य जब उदय होता है तब जिव्हा पर प्रभु का नाम आता है और प्रभु के नाम लेने में हमें आनंद आता है । बिना पुण्यों के उदय के और प्रभु की कृपा के प्रभु का नाम जप संभव नहीं हो सकता । इसलिए जिनसे जीवन में नाम जप हो पा रहा है उन्हें स्वयं को अति भाग्यवान मानना चाहिए और प्रभु को इसके लिए धन्यवाद देना चाहिए ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony