हमें अपना घर छोड़ कहीं नहीं जाना होता है, विशुद्ध प्रभु नाम का आश्रय जीवन में लेकर हम जहाँ भी हैं, जिस रंग में हैं, जिस संग में हैं, जिस हाल में हैं वहीं नाम जप के कारण भक्ति जागृत हो जाती है और प्रभु हमारे जीवन में पधारते हैं । नाम जप कलियुग में भक्ति का सबसे प्रधान साधन है । नाम जप से कलियुग में भक्ति परिपक्व होती है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony