एक प्रसिद्ध दोहे में संत कहते हैं कि उस सुख के माथे पत्थर पड़े जो
प्रभु का नाम ही हृदय से भुला देता है और उस दुःख की बलिहारी है जो पल-पल प्रभु का
नाम रटा देता है । दुःख की बेला पर प्रभु की याद अधिक आती है क्योंकि हम अपना
पुरुषार्थ हार चूके होते हैं और दुःख में नाम जप भी अधिक प्रभावी रूप से होता है ।
इसलिए संत दुःख की बलिहारी लेते हैं जो प्रभु की स्मृति और नाम जप करवा देता है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony