जिसका मन प्रभु के नाम, रूप, सद्गुण का आस्वादन करने में लग गया उसका मन फिर कभी संसार में नहीं लग
सकता । यह भक्ति की कसौटी है । भक्ति के अंतर्गत जिसने प्रभु के नाम जप को पकड़
लिया वह सबसे बड़ा भाग्यवान है । कलियुग में भक्ति के अंतर्गत नाम जप की प्रधानता
है और इसका प्रतिपादन हर शास्त्र और संत द्वारा किया गया है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony