Skip to main content

298. नाम जप में हमारी रुचि क्यों होनी चाहिए ?

जितना आनंद प्रभु के नाम में है उतना कहीं अन्यत्र नहीं है फिर भी संसारी को प्रभु नाम लेना बोझ-सा लगता है । नाम जप में कोई खर्चा नहीं होता, प्रभु के अनंत नाम हैं और नाम जप के लिए कोई शर्त या नियम नहीं है फिर भी हमारी रुचि नाम जप में नहीं होती, यह हमारा दुर्भाग्य है । जो फल अन्य युगों में तपस्या, कर्मकांड, पूजा आदि से मिलता था वही फल कलियुग में केवल नाम जप से संभव है ।

Popular Posts