अपनी श्वासों की माला पर प्रभु का नाम पिरोना चाहिए । यह वह अवस्था है
जहाँ संत और भक्त पहुँचते हैं कि उनकी श्वास पर नाम जप होने लगता है और कोई भी श्वास
नाम जप के बिना खाली नहीं जाती । यह वह अवस्था है जब निरंतर नाम जप के प्रभाव से
नामी प्रभु का परम सानिध्य उन्हें जीवन काल में ही प्राप्त हो जाता है और अंतिम
बेला पर प्रभु के पार्षद उन्हें प्रभु के श्रीधाम ले जाते हैं ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony