Skip to main content

307. कलियुग का धर्म क्या है ?

प्रभु नाम का आश्रय लेना कलियुग का धर्म है । कलियुग में प्रभु नाम से श्रेष्ठ कोई साधन नहीं है । कलियुग में प्रभु नाम लेना ही भक्ति है, प्रभु का गुणगान करना ही भक्ति है और प्रभु की चर्चा सुनना ही भक्ति है । इन सबमें भी कलियुग में नाम जप की महिमा सबसे बड़ी है । नाम जप की समानता करने वाला कलियुग में कोई भी अन्य साधन नहीं है ।

Popular Posts