कभी माला नहीं हो तो सांसों की माला पर ही प्रभु का नाम जपना चाहिए । संतों की हाथों की माला छूट जाती है और वे सांसों की माला पर ही प्रभु का नाम जपना आरंभ कर देते हैं । यह एक बहुत ऊँची अवस्था होती है जहाँ संत और नाम जापक पहुँच जाते हैं जब सांसों की माला पर ही प्रभु का नाम जपना प्रारंभ हो जाता है यानी कोई भी श्वास प्रभु नाम बिना खाली नहीं जाती ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony