संत और भक्त सोते, जागते निरंतर प्रभु का नाम रटते रहते हैं । उन्हें माला की जरूरत नहीं होती क्योंकि वे प्रभु का नाम अपनी श्वासों की माला पर रटना प्रारंभ कर देते हैं । कलियुग में बहुत सारे संत और महात्मा हुए हैं जिन्होंने नाम जप का अपने जीवन में आधार लिया है और अरबों की संख्या में नाम जप किया है । ऐसा तभी संभव होता है जब श्वासों की माला पर रटना प्रारंभ हो जाता है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony