प्रभु का नाम लेने वाला कभी नहीं डूब सकता । श्री भक्तमाल में कथा आती है कि एक भक्त ने प्रभु का नाम लेकर श्री जगन्नाथपुरीजी के सागर में छलांग लगा दी । प्रभु दौड़कर आए और उसे बचाया और उसे अपने महल में लाकर उसकी सात दिन सेवा की । फिर प्रभु ने कहा कि अब वापस जाओ । भक्त ने वापस जाने से यह कहकर मना किया कि अब आप मिल गए तो अब वापस संसार में क्यों भेज रहे हैं । प्रभु ने जो जवाब दिया वह बड़ा मार्मिक है । प्रभु ने कहा कि मैं इसलिए भेज रहा हूँ कि संसार वाले देखें कि तुम बच गए क्योंकि तुम मेरा नाम लेकर सागर में कूदे थे अन्यथा अपयश मेरे नाम का होगा । प्रभु ने फिर आगे कहा कि मेरा नाम लेने वाला तो भवसागर में भी नहीं डूबता तो फिर संसार के सागर में अगर तुम डूब गए तो मेरा बड़ा अपयश होगा ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony