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354. जो वाणी प्रभु का नाम जप नहीं करती शास्त्रों में उनके लिए क्या कहा गया है ?

प्रभु नाम के बिना हमारी वाणी कभी भी शोभा नहीं पाती । हमारी वाणी की शोभा प्रभु के नाम जप के कारण ही है, ऐसा शास्त्र और संत मत है । इसलिए हमें अपनी वाणी को व्यर्थ की संसार की वार्ता में नहीं लगाना चाहिए और उसे प्रभु के नाम जप में लगाना चाहिए । वाणी से नाम जप की कमाई ही हमारे अंत में काम आने वाली कमाई है । जो वाणी प्रभु का नाम जप नहीं करती उसे शास्त्रों में मेंढक की टर्र-टर्र करने वाली वाणी की संज्ञा दी गई है ।

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