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357. निष्काम होकर नाम जप करने से क्या होता है ?

निश्चित माने कि आधे नाम पर भगवान आते हैं पर वह आधा नाम अभिलाषा शून्य होकर पुकारना होता है यानी वह पुकार केवल प्रभु के लिए ही होनी चाहिए । जब हमारी पुकार अभिलाषा शून्य होती है तो प्रभु सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं और आधे नाम पर हमारा मंगल, कल्याण और उद्धार करने चले आते हैं । अगर नाम जप किसी सात्विक अभिलाषा से होता है तो वह अभिलाषा पूर्ण होती है पर अगर वह निष्काम होता है तो प्रभु को हमें कृतार्थ करने आना पड़ता है ।

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